Atal Bihari Vajpayee की शताब्दी पर भारतीय राजनीति के महान नेता को याद करते हुए श्रद्धांजलि
Atal Bihari Vajpayee: आज पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की शताब्दी है। इस अवसर पर देशभर में उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की जा रही है। उत्तराखंड की राजधानी देहरादून में भी एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला, उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, राजत शर्मा और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक उपस्थित रहे। इस अवसर पर अटल बिहारी वाजपेयी की एक प्रतिमा का अनावरण भी किया गया।
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन परिचय
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था। वे भारतीय राजनीति के एक स्तंभ थे और भारतीय जनता पार्टी (BJP) के संस्थापक नेताओं में से एक थे। वाजपेयी ने तीन बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की। उनका पहला कार्यकाल 1996 में मात्र 13 दिनों के लिए था। इसके बाद, वे 1998 में प्रधानमंत्री बने और 13 महीने तक इस पद पर रहे। 1999 में वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने और इस बार उनका कार्यकाल पूरा हुआ। वे पहले गैर-कांग्रेस नेता थे जिन्होंने प्रधानमंत्री के रूप में अपना कार्यकाल पूरा किया।
राजनेता के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी की भूमिका
अटल बिहारी वाजपेयी को एक दूरदर्शी नेता और भारतीय राजनीति के सबसे प्रभावशाली व्यक्तित्वों में से एक माना जाता है। उन्होंने हमेशा भारतीय राजनीति में संवैधानिक मूल्यों की रक्षा की और देश की राजनीति में नया दिशा देने का कार्य किया। वाजपेयी की नेतृत्व क्षमता और नीतियों ने भारतीय राजनीति को एक नया रूप दिया। उन्होंने भारतीय लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें सबसे प्रमुख थे पोखरण परमाणु परीक्षण 1998, कारगिल युद्ध के दौरान मजबूत नेतृत्व और देश की बुनियादी संरचना में सुधार की दिशा में किए गए कार्य।
प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ने अर्पित की श्रद्धांजलि
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की शताब्दी पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को उनके स्मारक ‘सदैव अटल’ पर आयोजित प्रार्थना सभा में श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर गृह मंत्री अमित शाह, स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा समेत कई केंद्रीय मंत्री भी उपस्थित थे। इसके अलावा, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू, जनता दल (यूनाइटेड) के नेता ललन सिंह और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (धारा) के नेता जितन राम मांझी भी अटल बिहारी वाजपेयी को श्रद्धांजलि देने पहुंचे। इसके साथ ही उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और वाजपेयी की गोद ली हुई बेटी के परिवार के सदस्य भी इस श्रद्धांजलि सभा में शामिल हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘X’ प्लेटफॉर्म पर पोस्ट करते हुए कहा, “जिन तरीकों से आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने संवैधानिक मूल्यों को बनाए रखते हुए देश को एक नया दिशा और गति दी, उसका प्रभाव हमेशा अडिग रहेगा। मुझे सौभाग्य मिला कि मुझे उनका पूरा साथ और आशीर्वाद मिला।”
अटल बिहारी वाजपेयी का काव्यात्मक पक्ष
अटल बिहारी वाजपेयी को राजनीति के अलावा एक कवि के रूप में भी पहचाना जाता है। उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति, राष्ट्रीयता और भारतीयता की झलक मिलती है। उनकी कविता “मंत्री जी की धर्मपत्नी” हो या “कोई दीवाना कहे” उनकी कविताओं में देशभक्ति और समाज के प्रति जिम्मेदारी की भावना गहरे से उभरी है। वे मंच पर भाषण देने के दौरान भी अपने काव्यात्मक अंदाज से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देते थे। उनके शब्दों में गहराई और भावनाओं की ताकत होती थी, जो सीधे दिलों तक पहुंचती थी।
अटल बिहारी वाजपेयी की कूटनीतिक विरासत
अटल बिहारी वाजपेयी की कूटनीतिक विरासत भी उनके प्रधानमंत्री बनने के बाद के कार्यकाल में अत्यधिक महत्वपूर्ण रही। पोखरण-2 परीक्षण से लेकर पाकिस्तान के साथ उनके सामरिक संबंधों में सुधार तक, उन्होंने भारतीय कूटनीति को नई दिशा दी। कारगिल युद्ध के समय उनकी नीतियां भारतीय सेना की मजबूती और देश की सुरक्षा को सुनिश्चित करने में सहायक साबित हुईं। उन्होंने पड़ोसी देशों से संबंधों को सुधारने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए, जिनमें विशेष रूप से पाकिस्तान के साथ बातचीत और विश्वास बहाली के लिए उनके द्वारा किए गए प्रयास महत्वपूर्ण रहे।
उनकी दृष्टि और नेतृत्व
अटल बिहारी वाजपेयी का नेतृत्व एक स्थिर और मजबूत राजनीतिक रूप था, जो समाज के विभिन्न वर्गों के बीच तालमेल बनाए रखने के साथ-साथ, राष्ट्रीय सुरक्षा और विकास को भी प्राथमिकता देता था। उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था को प्रौद्योगिकियों में अग्रणी बनाने की दिशा में कई महत्वपूर्ण सुधार किए। उनकी योजनाओं ने भारतीय समाज में स्थायित्व और आत्मनिर्भरता को बढ़ावा दिया।
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक रणनीति
अटल बिहारी वाजपेयी की राजनीतिक रणनीति और उनकी कूटनीति ने न केवल बीजेपी को बल्कि पूरे भारत को एक नया दृष्टिकोण दिया। उन्होंने हमेशा राष्ट्रीय हितों को सबसे ऊपर रखा और कभी भी अपनी नीतियों से समझौता नहीं किया। उनके नेतृत्व में भारत ने कई अहम निर्णय लिए, जिनमें भारत का परमाणु परीक्षण और पाकिस्तान के साथ युद्ध के समय भारतीय सेना का साहसिक नेतृत्व शामिल है। वे भारतीय राजनीति में एक ऐसे नेता के रूप में हमेशा याद किए जाएंगे जिन्होंने न केवल अपने देश के हितों की रक्षा की, बल्कि अपने नेतृत्व से दुनिया में भारत का सम्मान भी बढ़ाया।
अटल बिहारी वाजपेयी की शताब्दी पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए हम उनके द्वारा किए गए महान कार्यों को याद करते हैं। उनका जीवन एक प्रेरणा है, जिसने भारतीय राजनीति को नया आकार दिया। उनकी नीतियां और उनके द्वारा किए गए सुधार हमेशा भारतीय राजनीति का एक अहम हिस्सा बनेंगे। अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान भारतीय राजनीति और समाज के प्रति अनमोल रहेगा। उनके नेतृत्व, उनके विचार और उनकी कूटनीति ने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में अहम भूमिका निभाई है।